कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखने के एक दिन बाद एनसीपी ने कहा है कि ये चिट्ठी कांग्रेस नेताओं के बीच संवाद की कमी का नतीजा है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार है। शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर राज्य में एमवीए के काॅमन मिनिमम प्रोग्राम की याद दिलाई थी। जिसके बाद एनसीपी का ये बयान आया है कि कांग्रेस नेताओं के बीच संवाद का आभाव है। हालांकि शिव सेना हमेशा से ये कहती रही है कि राज्य में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार में सहयोगी दलों के बीच सबकुछ ठीक है।
सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में राज्य सरकार से कुछ उपायों को लागू करने के लिए कहा था जिससे दलित और आदिवासी समुदाय से आने वाले लोगों के विकास के लिए काम हो सके। सोनिया गांधी ने लिखा कि एक वैधानिक समर्थन होना चाहिए जिससे एस-एसटी समुदाय के कल्याण की योजनाओं के लिए जो फंड निर्धारित है, उसका इस्तेमाल इसी वित्त वर्ष में किया जा सके।
सोनिया गांधी की इस चिट्ठी पर एनसीपी के मंत्री और प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि ये चिट्ठी इस बात की तरफ इशारा करती है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर संवाद की कमी है। राज्य सरकार के कई कार्यक्रम और योजनाएं का काम कोरोना महामारी की वजह से बाधित हुआ है। वहीं ट्राइबल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट को कांग्रेस पार्टी के मंत्री ही देख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के पार्टी के नेताओं को इस विभाग के मंत्री से ही सच्चाई का पता करना चाहिए।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा है कि सोनिया गांधी की चिट्ठी किसी नाराजगी की वजह से नहीं लिखी है, बल्कि ये एक डायलाॅग का हिस्सा है। कांग्रेस हमेशा से समाज के गरीब और वंचित तबके उत्थान के लिए काम करती रही है और सोनिया गांधी की चिट्ठी इसी डायलाॅग प्रोसेस का हिस्सा था कि लोककल्याणकारी काम कैसे किए जा सकते हैं। इसमें कहीं भी नाराजगी नहीं थी।
वहीं शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने भी क्रांग्रेस पार्टी की तरफ से किसी भी तरह की प्रेशर पाॅलिटिक्स की बात से इनकार किया है। राउत ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी कोई ऐसा एजेंडा लेकर आती है जो महाराष्ट्र राज्य के लोगों के हित में हो, तो उसका स्वागत है।