सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को किसानों के आंदोलन को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है। ये रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है जिनमें कृषि विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ होंगे। ये कमेटी किसानों की आपत्तियों पर विचार करेगी। सबसे पहले याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों को ये डर है कि उनकी जमीनें बेच दी जाएगी। किसान अभी भी तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इस पर चीफ जस्टिस एस.ए. बोब्डे ने कहा, हम अंतिम फैसले तक तीनों कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा रहे हैं। किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। हमारे पास अधिकार है, जिसमें एक यह है कि हम कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दे।
एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कमेटी के सामने पेश नहीं होना चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें समिति बनाने का अधिकार है, जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं। हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं। कमेटी हमें रिपोर्ट देगी। कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए समिति का गठन चाहते हैं।
सुनवाई के दौरान किसान संगठन के वकील ए पी सिंह ने कहा कि किसानों को कॉन्फिडेंस में लेना होगा। उन्होंने कहा कि आपका सोमवार का संदेश हमने अपने मुवक्किल संगठनों को पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा है कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे चिल्ला सहित यूपी बॉर्डर पर हो रहे प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे। अब तक धरने प्रदर्शन में 65 किसान की मृत्यु हो चुकी है।
चीफ जस्टिस ने उन विशेषज्ञों के नाम भी बताए जो इस कमेटी में शामिल होंगे। उनके नाम हैं – कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत और बी. एस. मान। केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।