BHARAT VRITANT

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 60वें दिन भी जारी है। 10 दौर की बातचीत के बाद भी किसानों और सरकार के बीच बात नहीं बन पाई है। वहीं, 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली ट्रैक्टर परेड को लेकर संशय बरकरार है। पुलिस की कहना है कि लिखित रूट नहीं मिला है। लिखित रूट मिलने पर बताएंगे। वहीं, किसान नेताओं का कहना है पुलिस अनुमति दे या ना दे, ट्रैक्टर परेड होकर रहेगी। कांग्रेस नेता जसबीर सिंह गिल ने कहा कि सरकार की अगली बैठक की तारीख़ तय करने की जो ज़िम्मेदारी है, सरकार उससे भाग नहीं सकती है। इस सरकार की एक परेशानी है कि जब भी इनकी नाकामी सामने आती है तो ये अपना दोष किसी और पर डाल देते हैं। सरकार को 26 जनवरी को इन क़ानूनों को रद्द करने का ऐलान करना चाहिए। सिंघु बॉर्डर पर पंजाब किसान संघर्ष समिति के सतनाम सिंह पानू ने कहा कि कई किसान गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली आ रहे हैं। हम दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर रैली करेंगे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दिल्ली पुलिस अनुमति देती है या नहीं। कृषि क़ानूनों के खिलाफ टिकरी बाॅर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 60वें दिन भी जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि आज पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से काफी ट्रैक्टर आ रहे हैं। हम 26 जनवरी को शांतिपूर्ण ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। टिकरी बाॅर्डर पर करीब दो-ढाई लाख ट्रैक्टर होंगे। 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए किसानों के जाने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। पंजाब, हरियाणा, यूपी आदि राज्यों से करीब पांच हजार ट्रैक्टर लेकर किसान दिल्ली की सीमा पर एक दिन में पहुंच गए हैं। वहीं दिल्ली के सभी संपर्क मार्ग पुलिस ने सील कर दिए हैं। इधर, पंजाब में आप ने किसानों के ट्रैक्टर मार्च के समर्थन में मोटरसाइकिल रैली निकाली। बठिंडा में बैठक करने पहुंचे भाजपा नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। किसान नेता गुरविंदर सिंह, गुरदेव सिंह व कश्मीर सिंह ने बताया कि किसान अपने साथ खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी सामान लेकर जा रहे हैं। अमृतसर में नेता सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धासुमन आर्पित करने के बाद हजारों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हुए। ट्रैक्टरों पर केसरी व नीले रंग के झंडे लगा कर केंद्र सरकार के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे किसानों ने दो टूक कहा कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक वह नहीं लौटेंगे।

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