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केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 56वें दिन भी जारी है। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े आंदोलनरत किसानों के साथ सरकार की 10वें दौर की वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में शुरू हो गई है। 10वें दौर की बातचीत से पहले दोनों पक्षों की ओर से अलग-अलग बयान दिए गए, जिसके बाद इस बैठक में तनातनी का माहौल बन सकता है।

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट से बनी कमेटी की किसानों के साथ बातचीत 21 जनवरी सुबह 11 बजे होगी। कमेटी के सदस्यों ने कहा कि वे किसी के पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं, न ही किसानों से बातचीत में अपनी निजी राय हावी होने देंगे।

उन्होंने कहा कि समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे। घनवट ने कहा कि समिति केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है। घनवट के मुताबिक कमेटी उन सभी से राय लेगी जो इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं अथवा समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार से कहेंगे वह भी अपना पक्ष कमेटी के समक्ष रखे। घनवट ने बताया कि कमेटी जल्द ही एक वेबसाइट भी तैयार करने की कोशिश कर रही है, ताकि जो लोग कमेटी के समक्ष आकर अपनी बात कहने की स्थिति में नहीं हैं, वे वेबसाइट पर अपनी राय रख सकें।

उन्होंने कहा कि समिति के सदस्य सुप्रीम कोर्ट में जमा करने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कृषि कानूनों पर अपनी निजी राय अलग से रखेंगे। मान के स्थान पर किसी अन्य को समिति में शामिल करने के सवाल पर घनवट ने कहा कि इसका गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया है और वही तय करेगी कि किसे नियुक्त करना है। उन्होंने कहा कि समिति के समक्ष आने को अनिच्छुक उन प्रदर्शनकारी किसानों से हम कहना चाहते हैं कि न तो हम किसी के पक्ष में हैं और न ही सरकार की ओर से हैं। हम सभी सुप्रीम कोर्ट की ओर से हैं। प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और विपक्ष द्वारा सदस्यों के सरकार के समर्थक होने के आरोपों पर घनवट ने कहा कि आप हमारे पास बातचीत के लिए आइए, हम आपकी सुनेंगे और आपकी राय को अदालत के सामने रखेंगे। हम सभी से बातचीत करने का अनुरोध करते हैं।

करीब 54 दिनों से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं को घेरे बैठे हैं। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं, जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 11 जनवरी को तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगाने के साथ गतिरोध दूर करने को चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति में अनिल घनवट के अलावा कृषि विशेषज्ञ प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और भूपिंदर सिंह मान को शामिल किया था। एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को समिति से अलग कर लिया है। कमेटी के तीन सदस्यों ने हीअपन पहली बैठक की।

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