BHARAT VRITANT

गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी रणनीतिक कुशलता दिखाते हुए दिल्ली पुलिस के जरिये किसान आंदोलन को लगभग दिल्ली के बाहर ढकेल दिया है. दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को भड़की हिंसा के मामले में देशद्रोह और UAPA के तहत 33 एफआईआर दर्ज की हैं. जिसमें राकेश टिकैत समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं. इन किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है. गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा और लाल किले की घटना के बाद किसान आंदोलन कुछ धीमा पड़ता नजर आ रहा था. दिल्ली हिंसा के बाद कुछ किसान संगठनों ने भी आंदोलन से अलग होने का निर्णय ले लिया था. किसान नेताओं पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद माहौल बदला हुआ नजर आने लगा था.

सिलसिलेवार हो रहे इस घटनाक्रम से कमजोर पड़ते किसान आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसुओं ने अचानक से नई जान फूंक दी. इसी के साथ उत्तर प्रदेश का गाजीपुर बॉर्डर किसान आंदोलन का केंद्र बन गया है. ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है कि किसान आंदोलन का सिरदर्द अब अमित शाह के हिस्से से योगी आदित्यनाथ के पाले में आ गया है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में शुक्रवार को हुई किसान महापंचायत में राकेश टिकैत के आंदोलन को और मजबूत करने का फैसला लिया गया है. बताया जा रहा है कि शनिवार को पश्चिमी यूपी के किसानों का गाजीपुर के लिए कूच शुरू हो जाएगा. गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए किसान महापंचायत में हजारों की संख्या में किसान जुटे थे. महापंचायत में राष्ट्रीय लोक दल नेता अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी भी शामिल हुए थे. बताया जा रहा है कि उनके साथ ही आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी महापंचायत का हिस्सा बनने पहुंचे थे. किसानों के गाजीपुर बॉर्डर के लिए कूच की खबर सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए चिंता का विषय बन सकता है.

किसान आंदोलन अब विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक आंदोलन बनता जा रहा है. किसान महापंचायत के बाद पश्चिमी यूपी के किसान राकेश टिकैत के एक इशारे पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठे हैं. वहीं, खुलकर सामने से किसान आंदोलन को समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी अब इस आंदोलन का हिस्सा होंगे. कृषि कानूनों के विरोध में दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन में दिल्ली की तरह ही हिंसा भड़कने की आशंका राजनीतिक दलों के समर्थन के बाद से कई गुना बढ़ गई है. किसान नेता के रूप में राकेश टिकैत का कद काफी बढ़ गया है. टिकैत के इस आंदोलन को अब जाट अस्मिता से भी जोड़ा जाने लगा है. जिसके चलते गाजीपुर बॉर्डर पर बिल्कुल ‘बॉर्डर’ जैसे हालात बनने की संभावना है. ऐसे में सीएम योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के साथ ही किसान आंदोलन को संभालने की भी होगी.

वहीं, राकेश टिकैत के आंसुओं ने भी अपना कमाल कर दिया. जो किसान गाजीपुर बॉर्डर से घर लौट चुके थे, वो भी उनका वीडियो देख रात में ही वापस आ गए. पश्चिमी यूपी से रात में ही सैकड़ों किसान धरनास्थल पर पहुंचने लगे. इस दौरान राकेश टिकैत को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने समर्थन दिया. कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हमेशा कड़े तेवर के साथ फैसला लेने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब इस स्थिति को कैसे संभालते हैं, ये तो वक्त बताएगा. अभी के लिए तो इतना ही कहा जा सकता है कि भगवान न करे, गाजीपुर बॉर्डर पर किसी राजनीतिक दल को अपनी सियासी रोटियां सेंकने का मौका मिले.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *