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पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री राजीव बैनर्जी और तृणमूल सांसद शताब्दी रॉय शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे सकते हैं। दोनों सोशल मीडिया के जरिए अपना फैसला सुना कर एक नया चलन शुरू कर रहे हैं। जहां पूर्व टॉलीवुड अभिनेत्री शताब्दी राय दो बजे फेसबुक पर अपने मन की बात जनता के साथ साझा करेंगी वहीं वन मंत्री राजीव बैनर्जी तीन बजे फेसबुक लाइव करेंगे। बनर्जी पिछले डेढ़ महीने से न दफ्तर जा रहे हैं और ना मंत्रिमंडल की बैठकों में शामिल हो रहे हैं। वहीं शताब्दी रॉय ने एक बयान में कहा है कि पार्टी में काम करने वाले नेताओं को किनारे लगाया जा रहा है।

अभी तक बर्दवान से तृणमूल सांसद सुनील मंडल के अलावा शुभेंदु अधिकारी सहित छह विधायक तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले 30 से अधिक तृणमूल विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं। ममता बनर्जी सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री रहे लक्ष्मी रतन शुक्ला जिलाध्यक्ष अरूप राय की मनमानी से इतने तंग हुए कि उन्होंने राजनीति से ही संन्यास ले लिया। वे हावड़ा के प्रभारी मंत्री थे।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रहे जगमोहन डालमिया की पुत्री और हावड़ा से विधायक वैशाली डालमिया पार्टी के कार्य प्रणाली से इतना नाराज हैं कि उन्होंने हाल ही में कहा कि तृणमूल की जड़ों में दीमक लग गई है जिसने लक्ष्मी रतन शुक्ला को काम ही नहीं करने दिया। यह दीमक पार्टी को खत्म कर रही है। दिनाजपुर में अर्पिता घोष और कूच बिहार में पार्थो प्रतिम रॉय के बढ़ते वर्चस्व से तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेता या तो निष्क्रिय हो गए हैं या पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

मिदनापुर में भी पार्टी अखिल गिरी और शुभेंदु अधिकारी के बीच वर्चस्व की लड़ाई में फंसी थी। तृणमूल कांग्रेस छोड़ने वाले अधिकतर नेता उत्तरी या मध्य बंगाल के हैं। इससे पार्टी इन इलाकों में काफी कमजोर हो गई है।

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