BHARAT VRITANT

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर किसान डटे हुए हैं। अब तक 10 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन नतीजा सिफर रहा है। करीब 40 किसान संगठन इस बात पर जोर देते हैं कि उनका आंदोलन गैरराजनीतिक है, लेकिन कोई भी दल उनका समर्थन करेगा तो किसी तरह की मनाही नहीं है। लेकिन नेताओं के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। इन सबके बीच मुंबई में किसानों की रैली होने जा रही है जिसमें महाराष्ट्र के सीएम उद्दव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार शामिल होंगे।

किसानों के समर्थन में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के सुर एक जैसे हैं। अभी हाल ही में शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा कि आखिर हठधर्मिता के रास्ते पर सरकार क्यों है। कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश में करोड़ों अन्नदाताओं के हितों के साथ समझौता क्यों किया जा रहा है। एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा था कि जिस रूप में कानून सामने हैं वो किसानों के हितों पर चोट करने वाला है। पिछले 60 दिनों से भीषण ठंड में किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। लेकिन सरकार का संवेदनहीन रवैया लोकतंत्र के लिए खतरा है। अगर देश का कोई भी वर्ग जिसे किसी तरह की परेशानी है क्या वो अपनी बात नहीं रख सकता है।

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