देश के अलग-अलग हिस्सों में इस वक्त कोरोना का प्रकोप देखने को मिल रहा है. लगातार नए मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है. किसी अस्पताल में बेड नहीं है, तो किसी में ऑक्सीजन की कमी है. ऑक्सीजन के लिए खुद मरीजों के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. वहीं, कई शहरों में अस्पताल की लापरवाही भी देखने को मिल रही है, जिसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट रहा है.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी कोविड के प्रकोप के कारण अस्पतालों की व्यवस्था बिगड़ती जा रही है. यहां के रोहनिया क्षेत्र में जब निजी अस्पताल ने लापरवाही की हदों को पार कर दिया, तो गुस्साए परिजनों ने जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की. दुख की बात ये है कि इस बवाल के बावजूद मरीज की जान नहीं बच सकी. दरअसल, रोहनिया के बच्छाव इलाके में निजी अस्पताल में जब डॉक्टर, स्टाफ गायब दिखे तो परिजनों ने हंगामा कर दिया. एक परिजन का आरोप है कि अस्पताल ने कोविड मरीज को अस्पताल में भर्ती कर लिया, लेकिन किसी तरह की देखभाल नहीं हो रही है. रोते-बिलखते हुए महिला बताती है कि अस्पताल में मरीज को दवा देने वाला कोई नहीं है, इस दौरान एक मरीज की तबीयत बिगड़ गई और अंत में उसको अपनी जान गंवानी पड़ी. जिस अस्पताल में तोड़फोड़ हुई थी, उसी अस्पताल को कुछ दिन पहले नोटिस जारी किया गया था. डीएम ने रेमेडेसिविर इंजेक्शन को लेकर अस्पताल को नोटिस जारी किया था.
वाराणसी की तरह ही इटावा का हाल है, यहां अस्पताल में कोविड मरीजों की संख्या बढ़ रही है लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही भी जारी है. हाल ये हुआ कि एक महिला की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और कोविड अस्पताल के आइसोलेशन सेंटर में तोड़फोड़ कर दी. इस दौरान डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हाथापाई भी हुई. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में स्टाफ लापरवाही बरत रहा है, उन्हें खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर लाने पड़ रहे हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर देखने के लिए नहीं आ रहे हैं. जब इस संबंध में सीएमओ से बात की गई तो वो मामले की लीपापोती करते हुए दिखाई दिए और ऑक्सीजन की कमी को नकारा, साथ ही परिजनों के आरोपों को भी खारिज करते नजर आए.