उत्तर प्रदेश में बिजनौर से कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों पर 100 मीटर तक किसी भी प्रकार के स्थाई निर्माण पर सरकार ने रोक लगा दी है। एनजीटी के निर्देशों का पालन कराने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। इसके तहत सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की ओर से एक अधिसूचना जारी कर दी गई है। साथ ही एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए सरकार ने सिंचाई एवं नगर विकास विभाग को नोडल एजेन्सी बना दिया है।एनजीटी ने करीब तीन वर्ष पूर्व 13 जुलाई, 2017 को गंगा के दोनों किनारों के 100 मीटर क्षेत्र को फ्लड प्लेन जोन किए जाने एवं सम्बन्धित क्षेत्र में कोई भी स्थाई निर्माण न हो इसके बारे केन्द्रीय जल आयोग समेत राज्य सरकार को आदेश पारित किया था। आदेश के अनुपालन में केन्द्रीय जल आयोग ने प्रदेश के सिंचाई एवं जलसंसाधन विभाग के साथ-साथ इस केस से जुड़े राजस्व, वन एवं नगर विकास विभाग को जरूरी कार्रवाई करने को कहा।
इसके तहत प्रदेश की सीमा में बिजनौर से उन्नाव, कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों से 100 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण, अतिक्रमण, व्यावसायिक गतिविधियां, पट्टे, नीलामी, प्रदूषण करने वाली गतिविधियों समेत सभी गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए इस क्षेत्र को नो डेवलपमेन्ट/नो कन्स्ट्रक्शन जोन अधिसूचित कर दिया गया है।आदेश के तहत प्रदेश की सीमा में बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ़, काशीराम नगर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव एवं कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों पर ‘नो डेपलपमेन्ट जोन/रेक्युलेटरी जोन’ के देशांतर एवं अक्षांश उपलब्ध कराए गए हैं। इसके आधार पर ‘नो डेपलपमेन्ट जोन/रेक्युलेटरी जोन’ अधिसूचना जारी किया गया है। इसके तहत नो डेपलपमेन्ट जोन में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की पूर्व अनुमति के उपरान्त दैविक/प्राकृतिक आपदा या धार्मिक/सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अस्थायी निर्माण की गतिविधियां अनुमन्य होंगी।वन, पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइड लाइन्स के तहत नियंत्रित बालू, पत्थर, बजरी रिवर बेड पदार्थों का खनन किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति से संरक्षित स्मारक, मंदिर, बोरिंग जेटीज, पार्क, एवं श्मशान घाट की मरम्मत एवं पुनर्रोद्धार तथा जैविक खेती एवं स्थानीय पेड़-पौधों का व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पौधरोपण, बाढ़ कटाव नियंत्रण, रिवर वाटर-वे की डिशिल्टिंग तथा क्षमिग्रस्त बंधों की मरम्मत एवं अनुरक्षण का कार्य भी किया जा सकेगा।