इससे पहले विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि डिसएंगेजमेंट एक मुश्किल प्रोसेस है,इसके लिए दोनों तरफ से सहमति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत होगी। मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि अब इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि एलएसी पर मौजूदा स्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश नहीं हो पाए।पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव को कम करने के लिए आर्मी और डिप्लोमेटिक लेवल पर भले ही बातचीत चल रही हो।चीन ने भूटान से लगे डोकलाम के पास अपने एच-6 परमाणु बॉम्बर और क्रूज मिसाइल को तैनात किया है। चीन इन हथियारों की तैनाती अपने गोलमुड एयरबेस पर कर रहा है, जो भारतीय सीमा से सिर्फ 1150 किलोमीटर दूर है।सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत-चीन के कॉर्प्स कमांडर अब तक 6 बार बातचीत कर चुके हैं। कोर कमांडरों की बैठक के बाद भले ही दोनों पक्ष एलएसी पर मौजूदा स्थिति को बनाए रखने की कोशिश में हैं, लेकिन भारत सतर्क है। भारतीय सेना ने तय किया है चीन के पीछे हटने के साफ संकेत मिलने तक पैंगॉन्ग की ऊंची पहाड़ियों पर हमारे जवान डटे रहेंगे।दूसरी तरफ विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि भारत और चीन एक अजीब स्थिति में हैं। इस बीच सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा है। यह बात अहम है कि दोनों देश एक-दूसरे की जरूरतों को भी समझते हैं। भारत-चीन को मिलकर समाधान तलाशना चाहिए। विदेश मंत्री ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में ये बात कही।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को कहा कि मैं जानता हूं कि भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर मुश्किल में हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे विवाद सुलझा लेंगे। इसमें हम कोई मदद कर सकें तो अच्छा लगेगा।