BHARAT VRITANT

बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरता रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सोमवार को मद्य निषेध विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान शराब पीकर पकड़े जाने पर पुलिसकर्मी को तत्काल बर्खास्त करने के निर्देश के बाद राज्य में राजनीति गर्म हो गई है. मुख्यमंत्री के इस निर्देश की आलोचना करते हुए विपक्ष के नेताओं का कहना है कि पुलिसकर्मियों को सरकार ‘बलि का बकरा’ बनाने पर तुली है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को मद्य निषेध विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश देते हुए कहा है कि पुलिसकर्मी ने शराब का सेवन नहीं करने की शपथ ली है, इसलिए अगर कोई पुलिसकर्मी शराब पीते पकड़े जाएं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर तत्काल उन्हें बर्खास्त किया जाए. इस निर्देश के बाद आरजेडी और कांग्रेस ने नीतीश सरकार पर जोरदार निशाना साधा है. बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि सरकार पुलिसकर्मियों को ‘बलि का बकरा’ बना रही है. उन्होंने कहा कि अगर शराब पकड़ा जाता है तो केवल पुलिसकर्मी ही दोषी क्यों बने, सभी पर कार्रवाई होनी चाहिए.

ललन कुमार ने यहां तक कहा कि सरकार को एक टीम गठित कर वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों के घरों की शाम को तलाशी लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए. इससे इस कानून की धज्जी उड़ाने वालों की सही पहचान हो जाएगी. इधर, राजद के पूर्व विधायक गुलाम जिलानी वारसी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह फेल है. यहां केवल शराबबंदी कानून के आड़ में व्यवसाय हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर महज खानापूर्ति कर रही है और गरीबों का शोषण कर रही है. इधर, भागलपुर जिला राजद महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष निशु सिंह ने कहा कि राज्य में शराबबंदी पूरी तरह से फेल हो गई है, शराबबंदी के नाम पर पुलिसकर्मियों पर ही कार्रवाई क्यों? कार्रवाई सभी पर होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी विभाग का हो. उल्लेखनीय है कि बिहार में किसी भी तरह के शराब की बिक्री और सेवन पर पूरी तरह प्रतिबंध है.

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